शिव-शक्ति के मिलन का महाशिवरात्रि इस वर्ष शिव योग में मनाया जा रहा है, साथ ही चतुर्ग्रही योग भी बनेगा। यह पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी 01 मार्च मंगलवार को है । चतुर्दशी मुहूर्त 1 मार्च सोमबार को प्रातः 03:16 बजे से प्रारंभ होकर दोपहर 1 बजे समाप्त होगा।
शास्त्रों में माना जाता है कि इस महान पर्व पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य का जीवन त्याग कर गृहस्थ का जीवन अपनाया था।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का एक अलग ही महत्व है। इस दिन शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय करते हैं और पूजा करते हैं।
इस शाल महाशिवरात्रि का यह महान पर्व 1 मार्च 2022 को है।
हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था, जिसे हर वर्ष महाशिवरात्रि के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।
वहीं कुछ पौराणिक ग्रंथों में यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव एक दिव्य ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहरों की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि चारों प्रहरों की पूजा करने से व्यक्ति जीवन के सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
ये बिस्वाश हे की पूजा यानि उपबास करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। चार पहर की पूजा शाम के समय यानी प्रदोष वेला और अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक शुरू होती है. पहले प्रहर में दूध से शिव के ईशान रूप की, दूसरे प्रहर में दही से अघोर रूप की, तीसरे प्रहर में घी से वामदेव रूप की पूजा करें और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात रूप की पूजा करें।
पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3:16 बजे से 2 मार्च को सुबह 10:00 बजे तक होगी। वहीं पूजा का पहला मुहूर्त सुबह 11:47 से 12:34 तक और शाम को 6:21 से 9:27 तक है. आप इन मुहूर्त के बिना किसी भी समय भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि की रात महासिद्धिदायिनी होती है, इसलिए इस महारात्रि की पूजा विशेष फल देती है। यदि कोई शिव भक्त चार बार पूजन और अभिषेक नहीं कर पाता है और पहले प्रहर में एक ही बार पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
शिब जी का चार प्रहर की पूजा बिधि
आये जानते हैं चार प्रहार पूजा का सही समय
पहला पहर
1 मार्च शाम 6:23 से 9:31 तक
दूसरा पहर
रात्रि 9:32 से 12:39 तक
तीसरा पहर
मध्यरात्रि 12:40 से सुबह 3:47 तक
चौथा पहर
मध्य रात्रि बाद 3:48 से अगले दिन सुबह 6:54 तक
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भगबान शिव का पूजा कैसे करें
इस दिन भगवान शिव के भक्त श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन धरती पर मौजूद सभी शिवलिंगों में भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की पूजा करने से कई गुना अधिक फल मिलता है।
महाशिवरात्रि का व्रत भक्ति भाव से करने और सात्विक रखने, शिव की पूजा करने, शिव कथा, शिव चालीसा का पाठ करने और 'ॐ नमः शिवाय' का पाठ करने से अश्वमेध के समान फल की प्राप्ति होती है। व्रत के दूसरे दिन प्रातः पुनः शिवलिंग पर जलाभिषेक करके ब्राह्मणों को यथासम्भव दक्षिणा आदि दें।
महाशिवरात्रि व्रत विधि
शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा से इस भगवान शंकर के सामने व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही संकल्प के दौरान व्रत की अवधि को पूरा करने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके अलावा आप व्रत यानि फल या निर्जला कैसे रखेंगे, उसके बाद ही कोई संकल्प लें।